आलोक कौशिक - बेगूसराय (बिहार)
अपनी मर्ज़ी से - ग़ज़ल - आलोक कौशिक
सोमवार, अक्टूबर 05, 2020
तुम मुझे लगती बहुत ही प्यारी हो
सच-सच बताओ क्या तुम बिहारी हो।
अब तो होने लगा है प्यार तुमसे
लगता है मिट गई समझदारी हो।
खुरच कर घायल कर गया जो भी आया
मेरा दिल जैसे महल सरकारी हो।
होती हैं तब देश में धर्म की बातें
जब महँगाई और बेरोजगारी हो।
लिखेंगे ग़ज़ल हम अपनी मर्ज़ी से ही
दुश्मन तुम या सरकार तुम्हारी हो।
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