सलिल सरोज - मुखर्जी नगर (नई दिल्ली)
मर्यादा - ग़ज़ल - सलिल सरोज
बुधवार, अक्टूबर 07, 2020
औरत को तमाशा बनाए रखिए
और फिर जुबाँ को दबाए रखिए
राम को पूजा कीजिए हर घर में
और सीताओं को सताए रखिए
जो अधिकार की बातें करने लगें
तो तमाम उलझने गिनाए रखिए
खूँ कीजिए इनका जब दिल चाहे
और टीका सिर पर लगाए रखिए
न कोई दलील न ही कोई मुक़दमा
हर बाज़ी इस तरह बिछाए रखिए
औरत ही औरत के लिए ना बोलें
इसी तरह इनको सिखाए रखिए
बराबर में आने की जुर्रत हुई कैसे
इन्हें लूट कर मर्यादा बचाए रखिए
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