उमाशंकर मिश्र - मऊ (उत्तर प्रदेश)
देवो के देव महादेव - कविता - उमाशंकर मिश्र
शनिवार, अक्टूबर 24, 2020
गले मे सांप जिसके
मस्तक पर चाँद जिसके
सुंदर जटाओ मे गंगा जिसकी
जिसके बाजू पर डमरु लटके है
वही प्यारे शंकर
हमारे दिल मे बैठे है।
किसी को नही काटते साँप
किसी को नही डुबाती गंगा
किसी को नही करतै परेशान
किसी को नंदी भी करता नही परेशां
वही महादेव मेरे दिल के अंदर बैठै है।
जब अराजकता चरम पर जाती है।
उद्दंडता शासन करती है।
अनपेक्षिता मस्तक झुकाती है
जब आसुरी शक्तियां पूरण रूपेण जम जाती है।
तब शंकर के त्रिनेत्र खुल जाते हैं।
प्रलय भुकंप तब जमकर आते हैं।
समय के अनुसार रहो।
सुसंस्कृत बनकर रहो।
परोपकार करो और जल का दुरुपयोग ना करो
इतना देखकर शंकर भी नृत्य करते हैं।
वही शंकर हमारे दिल मे वास करते हैं।
वही शंकर हमे तन्हाइयों से बाहर लाते हैं।
खुशी का पैगाम देते है
और प्रसन्नता झोली मे डाल देते है।
वही शंकर डमरु की आवाज मे तांडव करते है।
और यही शंकर सत्यम शिवम सुंदरम
हिंदी हिदू हिंदुस्तान की लाज रखते हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर