सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
हे! राम - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
मंगलवार, अक्टूबर 27, 2020
हे! राम तुम्हारी धरती पर,
अब सत्य पराजित होता है।
चहुँ ओर दिखे अन्याय यहाँ,
नित, रावण, पूजित होता है।
तुमने तो कुटूम्ब की खातिर,
राज्य त्याग वनवास लिया।
भ्रातृ धर्म, पति धर्म निभाया,
पापी रावण का नाश किया।
विजय सत्य की होती है,
यह ही सन्देश तुम्हारा है।
हे! पुरुषोत्तम तुम फिर जन्मो,
जन जन ने तुम्हें पुकारा है।
हे ! राम तुम्हारी धरती पर,
अब पाप कपट फिर छाया है।
सब त्राहिमाम हैं बोल उठे,
जब दिखा दुःखों का साया है।
हे! राम दया दृग खोलो प्रभु,
अब फिर से सब संताप हरो।
है भोली जनता बिलख रही,
हे! पुरुषोत्तम अब माफ़ करो।
जब रावण, खर, दूषण मारे,
तो इन दुष्टों की क्या क्षमता।
अतुलित बलशाली राम प्रभू,
तुमसे दैत्यों की क्या समता।
हे! प्रभू बचा लो सृष्टि को,
यह ही फरियाद हमारी है।
हे! पुरुषोत्तम तुम फिर प्रकटो
ये दुनिया तुम्हें पुकारी है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर