सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
जीवन और साहित्य - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, अक्टूबर 26, 2020
सत्य कहा किसी ने मित्रो,
साहित्य समाज का दर्पण है।
सत्य मिथ्य का भेद बताये,
इस हित जीवन अर्पण है।
मातु शारदे के चरणों से
इसका मित्रों उद्गम है।
पथ भटकों को राह दिखाये,
इसमें जीवन दर्शन है।
लिखा हुआ इतिहास इसी में,
इसमे विज्ञान है सारा।
इसमें सबकुछ पढ़ सकते हो,
भूत भविष्य तुम्हारा।
माँ वाणी का आँचल है ये,
ब्रह्मा जी का है वरदान।
विद्या का आवाह्न इसी में
इसमें सारे वेद पुराण।
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