डॉ. राजेन्द्र गुप्ता - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
विक्रम बेताल संवाद - कविता - डॉ. राजेन्द्र गुप्ता
शुक्रवार, अक्टूबर 30, 2020
जब सितम्बर 1995 में पूरे भारत की गणपति मूर्तियों ने दूध पिया था।
दुग्ध पान का लगा जब श्री गणेश को चाव।
नंदीश्वर शामिल हुए उनको आया ताव।।
ए राजन! बढ़े दूध के भाव।
बिजली सी व्यापी यहां बात बात मै बात।
शुरू कहां से हुई ये कोऊ नहीं बतात।।
ए राजन! शंका नहीं सुहात।
उल्लासित उत्सुक सभी पहुंचे मंदिर सोए।
दुग्ध ले गई भीड़ में धक्कम धक्का होय।।
ए राजन! भूखा शिशु घर रोय।
संचारी माध्यम सभी हुए सक्रिय गति तेज।
इसी बात में भर दिए अख़बारों ने पेज।।
ए राजन! उनको क्या परहेज़।
वैज्ञानिक बतला रहे बैज्ञानिक सिद्धांत।
जन मन में नहिं पैठते सभी लोग हैं भ्रांत।।
ए राजन! है मन अभी अशांत।
देखा सुना न पूर्व में क्या होगा परिणाम?
क्या साधक का कृत्य यह फैलाने निज नाम।
ए राजन! हैं उलझनें तमाम।
अल्प ज्ञात इस जगत में अरु असीम अज्ञात।
आध सेर के पात्र में कबहुं न सेर समात।।
ए राजन! कैसे हो हल बात?
साक्षी हो जीवन जिएं सतत करें सत्कर्म।
ज्ञानी जन निर्देश दें जिन पाया यह मर्म।।
ए राजन! यही श्रेष्ठ निज धर्म।
ज्यों ज्यों सुलझें उलझते सुन गुन कर भरमात।
निर्विचार मन परम प्रभु सत्ता सों जुड़ जात।।
ए राजन! सहज सुलभ बिधि ज्ञात।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विषय
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर