मित्रता - कुण्डलिया छंद - प्रवीन "पथिक"

जीवन  में ग़म बहुत है, लेकिन  है  इक बात।
सारे ग़म कट जाते हैं, यदि हो मित्र का साथ।
यदि हो मित्र का साथ, सुख दुःख में काम आए।
धैर्य,  प्रेम  व  त्याग  से,     निज मैत्री बढ़ाए।
कहै 'पथिक' मित्रों प्रति, रहे प्रेमभाव मन में।
जिससे मिलता खुशी, रहता  हर्ष  जीवन  में।

प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)

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