कुन्दन पाटिल - देवास (मध्यप्रदेश)
अरमान जो पुरे न हुये - संस्मरण - कुन्दन पाटिल
बुधवार, अक्टूबर 21, 2020
एक अच्छे उदेश्य से शुरू किया कार्य कैसे बिच मे ही दम तोड देता है। यही समझाना शायद इस संस्मरण का उदेश्य है। हम कुछ सहकर्मी मित्रों द्वारा महात्मा गांधी जयंती 2 अक्टुम्बर 2017 को स्थानिय मल्हार स्मृती मन्दिर उघान मे एक सामाजिक कार्यो को अपने हाथो सम्पन्य करवाने के उदेश्य से एक बैठक रखी, जिसमे उपस्थित हुये कुन्दन पाटिल, देवकरण लोधी, मोहन सोनी, विक्रम सिंह तोमर, कुमेरसिंह धनगर ने मिल कर एक संस्था की नीव रखी संस्था का मुल उदेश्य प्रतिभाशाली विघार्थी खिलाडियों को सम्मानित एव पुरूस्कृत करना। साहित्य कला एव सामाजिक कार्यो मे लिन महानुभावों को सम्मानित करना। पौधा रोपन मुहिम, सफाई अभियान चलाना शासकिय जनहीतकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमदों को दिलाना साथ ही संस्था को आर्थिक सबल प्रदान करने के लिये अजीवन सदस्यों से ₹1111 लेने का तय किया।
मैं अपने सहकर्मी मित्रो 25-30 मित्रो से मिला बताया कुछ ने हा कहा कुछ टाल गये किसी ने आर्थिक बोझ उठाने में असमर्थता दिखाई फिर भी कुछ कुछ मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते अजीवन सदस्यों की संख्या दो अंको में पहुच गई अजीवन सदस्य मे कुन्दन पाटिल, कुमेरसिंह धनगर, देवकरण लोधी, विक्रमसिंह तोमर, ओमप्रकाश कुम्भकार, रामरतन कुशवाह, सिताराम पटेल, विजय पटेल, देवराज पटेल, सुनिल माकोडे, मोहन सोनी, के रूप मे 11 अजीवन सदस्य बन गये। लगभग दस माह बाद संस्था को सुचारू चलाने के लिये समिती का गठन किया गया। जिसे चाय पर चर्चा नाम दिया गया पहली बैठक कुन्दन पाटिल के घर रखी गई वही संस्था का नाम तय हुवा "संस्था जय माँ भारतीय" नाम रखा गया सस्थापक अध्यक्ष कुन्दन पाटिल अध्यक्ष-मोहन सोनी उपाध्क्ष-सिताराम पटेल कोषाध्य्क्ष-कुमेरसिह धनगर को बनाया गया बैठक मे कुल नौ सदस्य उपस्थित रहे।
अगली बार सदस्यो के घर पर ही चाय पर चर्चा रखने का तय हुवा किन्तु कौई रूची लेने को त्यार नही था। फिर वही थण्ठा थण्ठा सा माहौल दो माह बाद पुनः चाय पर चर्चा सिताराम पटेल के घर रखी गई पर अब उपस्थिती भी और भी कम रही कुछ नये सदस्यो का रूझान बड़ा तब हमने तय किया की अजीवन फार्म को अबअन्तिम रूप दिया जाय आगामी समय मे बच्चो के लिये ज्ञानवर्धन प्रतियोगीता का आयोजन करने का तय हुवा चाय नास्ता कर सभी सदस्य अपने अपने घर चले गये।
अक्टुम्बर 19 मे पुनः संस्था मे जान डालने का प्रयास हुवा फिर चाय पर चर्चा कुमेरसिह धनगर के घर रखी गई जहा सिर्फ 5 सदस्य ही पहुचे कुछ इधर उधर की चर्चा हुई चाय नास्ता किया फिर सभी सदस्य अपने अपने घर को निकल गये इस प्रकार से संस्था को आगे बढ़ाने के तमाम प्रयास विफल हो रहे थे इस बिच 60-70 लोगो से मिल कर मैं संस्था और संस्था के उदेश्य से अवगत करवा चुका था तारीफ मिलती थी अश्वासन मिलता था पर आर्थिक एव रचनातमक सहयोग नही मिल पा रहा था। इन सभी गतीविधीयों मे देवराज पटेल, मोहन सोनी, सिताराम पटेल कुछ विशेष रूची लेते दिखे किन्तु सब दुसरो पर आश्रित ही नजर आये इतनी श्रम एव मेहनत के बाद भी कोई विशेष सफलता नही मिल पा रही थी कोई भी आगे बढ़ कर नैतुत्व करने को काम करने को कोई विशेष रूची कर नजर नही आया तब मैने तय किया की यह कार्य अब हमसे आगे बढ़ने वाला नही हैं। सदस्यो मे रूची नही है समय भी नही है कारन साफ है 20 से 30 वर्षो की नौकरी के बाद भी ₹14000 से ₹15500 हजार तक न्युंतम वेतन का होना सदस्यो के परिवार की जवाब दारीया भी बड़ना ओर फिर वही हुवा एक नेक विचार सेवा सहयोग पुरूस्कार के भाव से पारम्भ हुई प्रयास 26 जनवरी 2020 को एक बैठक जो मल्हार स्मृती मन्दिर मे संस्था के सदस्यो को उनकी अजीवन सहयोग राशी लोटा दिया गया।एक संस्था का उदय होने से पुर्व ही अस्त हो गई पर हमारे हौसले आज भी जवान है हम अपने कार्य के प्रती हमेशा सजक रहेंगे सभी को "जय माँ भारतीय"
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