डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली
दीपावली - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शनिवार, नवंबर 14, 2020
तैयारी दीपावली, कोरोना निर्भीत।
जान माल परवाह बिन, लिया रोग को जीत।। १।।
रखा नियम को ताख पर, क्या माने निर्देश।
बाजारें दीपावली, सजी आज परिवेश।।२।।
लाखों की मेला लगी, चल सत्ता का खेल।
बिना मास्क दूरी विरत, चुनावी ठेलमठेल।।३।।
सुखद शान्ति सद्भावना, प्रगति राष्ट्र मुस्कान।
लक्ष्य मात्र दीपावली, भारत स्वच्छ महान।।४।।
मिटे पाप दुर्भाव मन, जले सरसता दीप।
उन्नत हो निज चिन्तना, शिक्षित प्रजा महीप।।५।।
रहें प्रगति पथ लोक जग, आलोकित जग शान्ति।
दीन पीड़ रजनी शमन, मिटे स्वार्थ मन भ्रान्ति।।६।।
सजे खुशी दीपावली, निर्मल मानव चित्त।
जाति धरम मन दीनता, मिटे तिमिर दुर्वृत्त ।।७।।
स्वार्थ अनल जलता मनुज, दे अवसीदन और ।
राग द्वेष हत्या कपट, जले घृणा का दौर।।८।।
तन मन धन निर्मल वचन, स्वच्छ बने आचार।
चलें स्वच्छ सत्कर्म पथ, स्वच्छ वतन आधार।।९।।
मिटे तिमिर अन्याय का, झूठ लूट आतंक।
नेह न्याय परहित मना, खुशहाली गृह रंक।।१०।।
लौटे मुख मुस्कान भी, मिले ज्ञान आलोक।
ढँके गात्र परिधान में, मिले गेह हर शोक।।११।।
जलें विजयी दीपशिखा, हो करुणा उद्रेक।
निर्भय हो जनता सबल, रामराज्य अभिषेक।।१२।।
सद्भावन हो आपसी, नवोन्मेष परिवेश।
निर्माणक नवराष्ट्र का, नीति प्रीति संदेश।।१३।।
महके खुशियाँ चमन में, उन्नति खिले प्रसून।
अमन चैन शिक्षित वतन, राष्ट्र भक्ति बस धून।।१४।।
जले दीप सहयोग का, तिमिर मिटे नापाक।
त्याग शील गुण कर्म पथ, भ्रष्टासुर हो खाक।।१५।।
नैतिकता सबसे सबल, मानवता उजियार।
स्वाभिमान विश्वास नित, बहे प्यार रसधार।।१६।।
उत्सव है दीपावली, महाविजय सत्काम।
सत्य न्याय संजीदगी, सर्वसुखी अविराम।।१७।।
लोकतंत्र होगा सफल, वैज्ञानिक नवशोध।
बने धरा नित ऊर्वरा, जले सभी अवरोध।।१८।।
आओ निज मन मैल को, करें स्वच्छ आगाज।
दीप जलाएँ प्रेम का, समरस शान्ति समाज।।१९।।
धन दौलत सुख सम्पदा, बढ़े राष्ट्र नित शान।
दीपावलि शुभकामना, वर्धापन सम्मान।।२०।।
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