ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)
मिट्टी के घड़े - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
शुक्रवार, नवंबर 06, 2020
जान लो तुम ये, वही लोग बड़े होते हैं
साथ अपनों के जो मुश्किल में खड़े होते हैं
पेश आते हैं बुजुर्गों से जो इज़्ज़त के साथ
हो कभी भूल तो पाँवों में पड़े होते हैं
बिजलियाँ खूब छले, सर्द करें पानी को
किंतु माकूल तो मिट्टी के घड़े होते हैं
हार की फ़िक्र कँहा उनको उसूलों के लिए
जंग जो डट के बुराई से लड़े होते हैं
नर्म फूलों की तरह आत्मा जिनकी है पवित्र
वो ही तो साथ मुसीबत में खड़े होते हैं
ज़हन में दर्द का तूफ़ान भले हो "अंचल"
मुस्कुराते हुए बेख़ौफ़ अड़े होते हैं ।।।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर