बलिदान - कविता - गणपत लाल उदय
मंगलवार, नवंबर 17, 2020
यह रचना मेरे मित्र अनिल कुमार (जम्मू) को समर्पित है जो सुबह, 15 नवंबर 2020 को हम सबको छोड़ कर ऐसा गया कि अमर हो गया। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ वे इन्हें स्वर्ग में स्थान दे। साथ ही परिवार को यह दुखः सहने की शक्ति दे। शत् शत् नमन
आज फिर एक बार हुआ ऐसा
मेरा दोस्त मुझसे रूठा है ऐसा।
ना बोलकर गया न खबर दिया
दिल के दुखः गम सब पी गया।
चला गया हमको ऐसे छोड़कर
वापस ना आऐगा वह लोटकर।
सैना में जीवन का खेल निराला
कौन है खिलाड़ी कोई खिलौना।
विचलित करती मुझें यही सोच
देश रक्षक सच्चे सपूत की मौत।
मौत नही कहते वह अमर हुआ
देश के लिए बलिदान जो दिया।
क्या खूब उसने लिखा एक बार
रिश्तो में गहरा है फौज परिवार।
जाऐगे न कभी ऐसे छोड़ संसार
करदेंगे जान देश के लिए कुर्बान।
यही एक शपत हर जवान लेता
देश सैना में जब दाखिला लेता।
तुमने दोस्त नाम अमर कर दिया
बुझा नहीं तू जलाकर गया दीया।
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