नूरफातिमा खातून "नूरी" - कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
दिवाली - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
शुक्रवार, नवंबर 06, 2020
मन के अंधेरे को मिटा लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
करना पूजा, अर्चना लगन से,
हो सके तो निकाल देना ईर्ष्या मन से।
मानवता रूपी कली खिला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
थोड़े देर के लिए दिया सा जल जाना,
मोह माया से क्षण भर निकल जाना।
आत्मा को परमात्मा से मिला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का त्याग याद करना,
अपनों की जिम्मेदारी से ना खुद को आजाद करना।
देश वासियों की सारी बला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
पर्यावरण पर एक बार सोचना,
धुआंधार पटाखे अब ना फोड़ना।
इस बात पर ध्यान टिका लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर