कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
एक शाम - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सोमवार, नवंबर 23, 2020
शाम-ए-अवध
तेरा दीदार हो गया,
सजी एक महफिल
में तेरा नाम हो गया।
फिर इतिहास के
पन्नों को पलट,
फलक पे तेरा
नाम आफताब हो गया।
गुजरे जमाने की शाम
में फिर रंगीन हो गई,
शाम-ए-अवध की महफिलें
फिर हसीन हो गई।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर