कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)
कुछ करना चाहूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
शुक्रवार, नवंबर 13, 2020
बालिका शिक्षा को समर्पित रचना
मैं अपनी उम्मीदों को पँख लगाकर ,
बहुत ऊँची उड़ान भरना चाहूँ ।
इस अनमोल नारी (बालिका) जीवन में ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
मैं सारे बाधक बंधनों को तोड़कर ,
अपना स्वच्छंद जीवन जीना चाहूँ ।
अबला से सबला बनकर रहूँ ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
मैं मेहनत के गहरे रंग जमाकर ,
अपनी योग्यताओं में मजबूत बन जाऊँ ।
नज़र नारी पर कोई ना उठ सकें ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
मैं हर बात में मोहताज़ न रहकर ,
स्व-विवेक से निर्णय लेना चाहूँ ।
अपनी काबिलियत का लोहा मनवाऊँ ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
मैं अपने सोए हुएं ज़मीर को जगाकर ,
हर जरूरतमंद का सहारा बन जाऊँ ।
मुझे मनचाहा मुकाम मिल सकें ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
मैं जटिल काम करूँ आगे बढ़कर ,
इतनी मजबूत कर दूँ अपनी बाहूँ ।
"कल्याण" सब नर-नारी का कर ,
मैं पढ़-लिखकर कुछ करना चाहूँ ।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर