महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)
बोलिए ना - ग़ज़ल - महेश "अनजाना"
शनिवार, दिसंबर 26, 2020
कब तक ख़ामोश रहें बोलिए ना।
डर कर आग़ोश रहें बोलिए ना।
वक़्त जो आज है, कल ना रहेगा,
कब तक पुरजोश रहें बोलिए ना।
स्टे होम, सेफ होम कहा मान लिए,
ख़बरों से बेहोश रहें बोलिए ना।
हालात नाज़ुक मोड़ पे है आज,
सुधरें या सरफ़रोश रहें बोलिए ना।
क़हर के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहे हैं,
हथियार बिना जोश रहें बोलिए ना।
वादा ख़िलाफ़ हुक़ूमत ने किया,
एहसान फ़रामोश रहें बोलिए ना।
'अनजाना' भय लग रहा है सबको,
फिर भी मदहोश रहें बोलिए ना।
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