पारो शैवलिनी - चितरंजन (पश्चिम बंगाल)
दुःख और दर्द - गीत - पारो शैवलिनी
शनिवार, दिसंबर 12, 2020
भूल की धूल को छांटना ही होगा।
दुःख और दर्द को बांटना ही होगा।
मोम से पिघलते ये रिश्ते ओ नाते,
झूठी-झूठी कसमें, झूठे-झूठे वादे,
विष भरे बरगद को काटना ही होगा।
दुःख और दर्द को बांटना ही होगा।।
मजहब से उपर उठो मेरे भाई,
खत्म करो मजहब की अंधी लड़ाई,
नफ़रत भरी खाई को पाटना ही होगा।
दुःख और दर्द को बांटना ही होगा।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर