डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली
इश्की बचपन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, दिसंबर 03, 2020
वह इश्क गज़ब था बचपन का,
ज़ज़्बात विलग मासूम निरत,
कोमल तन हर्षित पुलकित मन,
निश्छल गंगा सम पावन था।
चंचल उत्साहित बचपन का,
उद्गार मृदुल इश्की चितवन,
निर्लिप्त मना अठखेल मगन,
मनमौजीपन वह बचपन था।
माता ममतामय आँचल का,
वात्सल्य मुदित बस चाहत मन,
बस चाह प्रेम मन भेद विरत,
नवनीत चारु प्रिय बचपन था।
बिन भय नटखटपन बचपन का,
मंजुल अनंत नित भाव नयन,
हो रुष्ट क्षणिक नित तुष्ट क्षणिक,
निष्कलुष हृदय वह बचपन था।
सेतुबन्ध प्रेम अपनापन का,
माँ पिता हृदय मकरन्द गन्ध,
मेधावी नित गुरु भावित मन,
सहयोग निरत वह बचपन था।
उत्शृंखल ज़ज्बाती बचपन का,
आज्ञाकारी मदमस्त पवन,
भूलूँ लम्हें कैसे जीवन,
भर मुक्त उड़ानें बचपन था।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर