रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
मौनालाप न चलें प्यार के संग - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
सोमवार, दिसंबर 21, 2020
ये मौनालाप
न चलें
प्यार के संग
गोरी तोरी
नजरिया के रंग।
तुम्हारा प्यार
जमा उर में
ज्यो मेहंदी का रंग
गोरी तोरी नजरिया के रंग।
मैंने न
सोचा था कि
प्यार करके रूठ जाओगी।
मैं बुलाऊंगा उर पास
की तुम दूर ही दूर जाओगी।
याद आती सारी रात
विभोर होत
मेरो अंग अंग।
गोरी तोरी नजरिया के रंग।
चुप्पी न साधो
तड़पाओ न हमको
सूने संसार में
जरूरत पड़ेगी तुमको।
चित्र सी खींच कर
आती तुम तन कर
तुम्हारी याद में
वेदना रह
जाती तड़पकर।
न रहत जो
संदा एक सो रंग
गोरी तोरी नजरिया के रंग।
रजनी में शांय शांय
चलती कहती हवा।
यौवन के प्यासे है
ये दोनों मुकुल जवां।
गगन के तारे ये
कहते
मौनलाप छोड़ो
ऐसा अपने
को मोड़ो।
उतर आयो
उर में
न शरमायो है प्यार की जंग।
गोरी तोरी नजरिया के रंग।
ये मौनालाप चलें प्यार के संग
गोरी तोरी नजरिया के रंग।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर