डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ३१) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
मंगलवार, दिसंबर 29, 2020
(३१)
मिल-खदान मजदूर, उभय के भाग्य-विधाता।
नेता ए. के. राय, वामपंथी जन नेता।
सीधे-साधे नेक, भावनाशील भयानक।
मजदूरों को एक, किए दिलवाए थे हक।।
लाल पताका हाथ, लिए आगे बढ़ आए।
पूरे दम-खम साथ, गठन दल का करवाए।
अलग राज्य की शोर, बनी थी विषयक चर्चा।
चमक उठी पुरजोर, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा।।
कुड़मियों के प्रधान, विनोद बिहारी महतो।
किए सतत आह्वान, ज्ञान से जीवन जीतो।
'पढ़ो-लड़ो' अविराम, बनो संस्कृति के रक्षक।
थे व्यक्तित्व महान, शिवाजी वीर प्रशंसक।।
कम्युनिस्ट के शेर, प्रांत में अलख जगाए।
किए न पलभर देर, हाथ में ध्वजा उठाए।
झारखण्ड के लाल, दिवानिशि की परिचर्चा।
गठन किए तत्काल, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा।।
दिशोम गुरु के नाम, शिबू सोरेन सुजाना।
महाजनों के ज़ुल्म, सहे बचपन में नाना।
भीषण किए विरोध, महाजनी रीतियों पर।
नशाबंदी पर जोर, लगाए लगन लगाकर।।
आदिवासी समाज, हेतु कार्य किए भारी।
अलग राज्य आवाज़, लगाए बारी-बारी।
प्रेरित हुए अपार, विनोद बिहारी जी से।
कामरेड श्री राय, जुझारू जननेता से।।
तीनों ठोके ताल, किए श्रम सीकर खर्चा।
गठन हुआ तत्काल, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा।
मुरली मांदर ढोल, उठे बज ढम-ढम-ढम-ढम।
दंग हुए थे लोग, देख के दृश्य विहंगम।।
फिर क्या हुआ पतंग? बयाँ तुम करते जाओ।
लाल-हरा इक संग, ध्वजा महिमा गुण गाओ।
पुनः कहो जोहार! हमें कहना सिखलाओ।
ममता करे गुहार, मिहिर! अथ कथा सुनाओ।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर