राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)
संयोग से आज हम तुम मिले - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
मंगलवार, फ़रवरी 02, 2021
ये माथे से घूँघट हटा दे ज़रा,
ये चाँद सा चेहरा दिखा दे ज़रा।
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये शरमाना मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये माथे में बिंदिया है किसके लिए?
ये कानों में बाली है किसके लिए?
ये होंठों की लाली है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये सँवरना मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये नैंनों का काजल है किसके लिए?
ये जुल्फ़ों का बादल है किसके लिए?
ये प्यासा धरातल है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये बरसना मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये पायल की छन-छन है किसके लिए?
ये चूड़ियों की खन-खन है किसके लिए?
ये तड़पन सी तन-मन है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये तड़पना मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये बदन की सजावट है किसके लिए?
ये मंद मुस्कराहट है किसके लिए?
ये छटपटाहट है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये छटपटाना मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये बालपन सी शरारत है किसके लिए?
ये यौवन सी हरारत है किसके लिए?
ये हुस्न सी इमारत है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये शरारत मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
ये तन तर पसन है किसके लिए?
ये मन में अगन है किसके लिए?
ये मिलन की लगन है किसके लिए?
संयोग से हैं आज हम-तुम मिले,
ये लगन मन मुझे भी सिखा दे ज़रा।।
ये माथे से...
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