सुनील माहेश्वरी - दिल्ली
उमंगों की राह - कविता - सुनील माहेश्वरी
सोमवार, जनवरी 25, 2021
भोर हुई शुरुआत नयी कर,
तिमिर का हुआ अब अंत,
जीवन गर जीना है तो,
ख़्वाहिशों को अनंत कर।
बीते दिन को विस्मृत कर दे,
स्वछंद सोच से विहार कर,
जोश और ऊर्जा से जीवन,
उमंगता का संचार कर।
बहती वयार संग लेकर के,
नव सृजन में अभिरंच दे,
नव तरु पल्लव स्वरों से,
तू शांत मन से अभितन्ज दे।
घोर निराशा से उठकर,
तू आशा में अपना घर कर,
दिव्य लौ से उठती रोशनी,
से अंधकार को विध्वंश कर।
तू मालिक स्वतन्त्र धरा का,
कर थोड़ी पहचान ज़रा,
राह घड़ी में भटक नही,
ना बडा़ तू अनजान बन।
पंख उड़ा कर आसमाँ में,
छू ले अनंत ऊँचाईयों को,
गर निकला समय हाथ फिर,
तू पछतायेगा मौन पड़ा।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर