विकाश बैनीवाल - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
रहस्य को गूढ़ रहस्य तुम बनाए रखना - सजल - विकाश बैनीवाल
शुक्रवार, जनवरी 22, 2021
रहस्य को गूढ रहस्य तुम बनाए रखना,
जितना छुप सके मुझसे छुपाए रखना।
भनक ना लग जाए मुझे कही से भी,
गुमराही का फ़र्ज़ तुम निभाए रखना।
जब तक पीठ से ख़ंजर पार न हो जाए,
तब तक यार मुझे गले लगाए रखना।
साम-दाम-दंड-भेद जो भी उपाय हो,
मेरे प्रति सभी को भड़काए रखना।
काम बन जाए तो धीरे से भूल जाना,
ना बने तब तक हाथ मिलाए रखना।
मासूम आँखों में मेरे धूल झोंक कर,
धोखेबाजी के आँसू तुम बहाए रखना।
क़लम का बादशाह तो हूँ मैं "विकाश",
तुम फ़रेबी दाव से मुझे हराए रखना।
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