अज़हर अली इमरोज़ - दरभंगा (बिहार)
गलतियाँ - सॉनेट - अज़हर अली इमरोज़
सोमवार, जनवरी 25, 2021
ज़िन्दगी की हिसाब लेनी है
ख़ुद फ़कीरी उधार लेता हूँ
ग़लतियों को सुधार लेता हूँ
एक मुकम्मल किताब लेनी है
दुश्मनों का जवाब मिलते हैं
दिल्लगी में शुमार रहता हूँ
इश्क़ में यूँ बिमार रहता हूँ
बंदगी की ख़िताब मिलते हैं
कै़दियों के निवास में रहता
मंजरे आम कर नहीं सकते
दोजख़ी काम कर नहीं सकते
क़ब्र के वो लिबास में रहता
ख़ाक से दुश्मनी नहीं करते
राख से रोशनी नहीं करते
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर