डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली
बढ़े मान चहुँदिक प्रगति - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बुधवार, फ़रवरी 10, 2021
गौरव है मुझको वतन, शत शत उसे प्रणाम।
बढ़े मान चहुँदिक प्रगति, जन धन यश सुखधाम।।
हो शिक्षा सब जनसलभ, स्वस्थ रहे जन गात्र।
जाति धर्म भाषा बिना, मानक बने सुपात्र।।
मर्यादित आचार हो, नित प्रेरक वात्सल्य।
मौलिकता पुरुषार्थ हो, कर्मशील साफल्य।।
साधु समागम कठिन जग, सद्गुरु दुर्लभ लोक।
मातु पिता भू गगन सम, मिले ज्ञान आलोक।।
राष्ट्रधर्म कर्तव्य हो, लोकतंत्र विश्वास।
परमारथ सेवा वतन, नीति प्रीति आभास।।
हरित भरित सुष्मित प्रकृति, ऊर्वर भू संसार।
तजो स्वार्थ संभलो मनुज, प्रकृति बने उपहार।।
यह ग्लेशियर चेतावनी, भूकम्पन तूफ़ान।
जलप्लावन ज्वालामुखी, रोक प्रकृति अपमान।।
जो कुछ जीवन में मिला, समझ ईश वरदान।
पाओ सुख संतोष को, खुशी प्रीति यश मान।।
सब प्राणी समतुल्य जग, सबका जग अवदान।
पंच भूत निर्मित जगत, जीओ बन इन्सान।।
जन मन मंगल भाव मन, जन विकास अवदान।
जीवन अर्पित देश को, मातृशक्ति सम्मान।।
छवि निकुंज मन माधवी खिले कुसुम मकरन्द।
फैले खुशियाँ अरुणिमा, धवल कीर्ति निशिचन्द।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर