कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
बसंत ऋतु - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
मंगलवार, फ़रवरी 16, 2021
सौंदर्यवान प्रकृति नई
पुष्प सुसज्जित धरा हुई,
चढ़कर अमर सज्जित हुए
ईश्वर के चरणों मे जब जब,
तब अमर बेल बढ़ती गई
धरा पे जब हुआ आगमन,
बसंत ऋतु माँ सरस्वती
वीणा के झंकार से,
शब्दों की ध्वनि हुई
तब सौंदर्यवान प्रकृति हुई।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर