नीरज सिंह कर्दम - असावर, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
पुलवामा हमला - कविता - नीरज सिंह कर्दम
सोमवार, फ़रवरी 15, 2021
कभी नहीं संघर्ष से
इतिहास हमारा हारा।
शहीद हुए जो वीर जवाँ,
उन्हें नमन हमारा।
पुलवामा हमले में
सड़कें वहाँ की लहुलुहान हुई।
किसी ने खोया बेटा, किसी ने पिता,
वीर शहीदों की क़ुर्बानी से आँखें सबकी नम हुई।
स्वर्ग की गोद ये
कैसा नरक पसरा हुआ है।
पग पग छाया आतंकवाद,
हर ज़र्रा खून से लाल हुआ है।
पुलवामा आतंकवादी हमले में
अपनी कीमती जान गंवाई है।
अपने प्राणों की क़ुर्बानी देकर
तुमने अमर गाथा गाई है।
बहन भाई का वीर दूर हुआ
बीबी के कंगन टूट गए।
पिता की लाठी टूटी,
माँ का लाल दूर हुआ।
कर दिया न्यौछावर तन मन अपना
इस देश गौरव, देश की शान है।
न कोई अभिमान है,
बस तिरंगा ही उनकी जान है।
कभी नहीं संघर्ष से
इतिहास हमारा हारा।
शहीद हुए जो वीर जवाँ,
उन्हें नमन हमारा।
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