रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
राधा की रुसवाई - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
मंगलवार, मार्च 23, 2021
राधा जब जब तुमने
गुस्सा जताया,
खाते हैं कसम
हमें कुछ न भाया।
सारे जग में
कोई न साथी,
विलीन हो गया
क्यों अपनापन,
तुम्हारी रूसवाई से लगता है,
हमको सारे आलम में
रुखापन।
खूब कसमें खिलाई मुझको
अब क्या ज़हर खिलाना है,
तेरी रूसवाई सहन न होगी
जीते जी मर जाना है।
हम तो अच्छे
भले थे मानुस
तूने क्यों हमें रुलाया।
जब जब तुमने गुस्सा जताया,
खाते हैं कसम
हमें कुछ न भाया।
रातों की टूटी निंदिया,
सपने हो गये झूठे झूठे।
पागल सा
फिरता हूँ मैं
हर गलियों में
दिनचर्या सब छूटे,
लगता है तन टूटा,
शायद मन टूटा
पर तेरी आस जला रही है,
आशा बनी निराशा
अब क्यों तेरी
याद सता रही है।
नख़रों के तीर
चलाए हम पर,
जब-जब हमने
तुम्हें मनाया
जब-जब तुमने
गुस्सा जताया,
खाते हैं कसम
हमें कुछ ना भाया।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर