मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)
ज़िंदगी के रूप-रंग - कविता - मधुस्मिता सेनापति
मंगलवार, अप्रैल 06, 2021
हर एक के लिए
अलग रूप है ज़िंदगी
किसी के लिए यह जन्नत है तो
किसी के लिए जहन्नुम है जिंदगी...!!
जहाँ बेरोज़गार के लिए
रोज़गार है ज़िंदगी,
वहीं प्यासे के लिए
नीर भी है ज़िंदगी...!!
जहाँ भूखे के लिए
रोटी है ज़िंदगी,
वहीं मरीज़ के लिए
दवाई भी है ज़िंदगी...!!
जहाँ किसान के लिए
खेत है ज़िंदगी,
वहीं बेघर के लिए
घर भी है ज़िंदगी...!!
मजबूरी में बनते ताकत
बिगड़ते हालातों का
हिसाब भी है ज़िंदगी,
संघर्ष ही तो इसका सार है
बीन इसके निराधार है ज़िंदगी...!!
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