महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)
हमने बहुत विचार किया - लावणी छंद - महेन्द्र सिंह राज
शनिवार, अप्रैल 24, 2021
सोचा था परिवार हमारा
बहुते आगे जाएगा।
मात पिता गुरु सेवा करके
अतुलित पुण्य कमाएगा।
इस नाते घर में रहकर भी
सुख दुख सब स्वीकार किया।
हमने बहुत विचार किया...
हम तो मानव ही नहीं अपितु
हर प्राणी से करते प्रेम।
और समय निकाल निकाल कर
लेते सबकी कुशल छेम।
पर छोटा जब दीर्घ बना तब
फिर भी ना तकरार किया।
हमने बहुत विचार किया...
छोटे चाहे बड़े सभी ने
समय समय पर जूल दिया।
छोटी छोटी बातों को भी
अनजाने में तूल दिया।
समय समय पर कोशिश भी की
गलत सदा इंकार किया।
हमने बहुत विचार किया...
जब भी अपनी पड़ी ज़रूरत
आगे बढ़, हाथ बटाया।
घड़ी मुसीबत जब भी आई
हाथ निज हमने बढ़ाया।
पी आए जब धो के उसको
मैं तब भी इज़हार किया।
हमने बहुत विचार किया...
हम उदाहरण नहीं खोजते
रामायण अरू गीता से।
ख़ुद उदाहरण बन जाओ सब
सुधारकर निज मीता को।
नहीं बेर ना बेल बनें हम
ना सुन्दर संसार दिया।
हमने बहुत विचार किया...
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर