आनन्द कुमार "आनन्दम्" - कुशहर, शिवहर (बिहार)
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कोरोना पर्यावरण के बीच में सकारात्मक समाचार - निबंध - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
कोरोना पर्यावरण के बीच में सकारात्मक समाचार - निबंध - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
सोमवार, अप्रैल 26, 2021
पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण से है जिसमें हम रहते है। इसमे भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि शामिल है। लगभग समस्त चीज़ों की आपूर्ति पर्यावरण से ही की जाती है परन्तु विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण का हमने जो हाल किया है, वह चिंता का विषय बना है।
इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना आती है और अपने चक्रव्यूह मे समस्त मानवजाति को इस प्रकार फासती है कि इससे निकलना मुश्किल सा लगने लगता है आम जन जीवन त्रस्त होकर घरो मे सिमटने लगता है जिसका आभास तक किसी को नहीं था। कितनो को मौत की आग़ोश मे लेने के बाद भी विनाश लिला जारी है,
परन्तु इससे पर्यावरण पर कोई असर नही पड़ा कोरोना इसके लिए वरदान साबित हुई है। जिस पर्यावरण संतुलन की बात हम वर्षों से कर रहे थे और इस दिशा मे आवश्यक कार्रवाई करने के बावजूद भी यह स्वच्छता के उच्चतम मानक पर नही पहुँच पा रही थी। उसे कोरोना के कारण हुए लाॅकडाउन ने कुछ ही दिनो मे कर दिखाया। और यह तब हो पाया जब यातायात से निकलने वाली धुआँ, उद्योग-धन्धो से निकलने वाली अपशिष्ट पदार्थ, नदियों मे फेंके जाने वाली कूड़ा-कचड़ा आदि पर नियंत्रण हुई।
कोरोना पर्यावरण के बीच में सकारात्मक समाचार-
● ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी।
● मार्च और अप्रैल महीनों मे दुनिया के प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता स्तर मे हुआ सुधार।
● मार्च से अब तक प्रतिदिन होने वाले कार्बन उत्सर्जन मे लगभग 17% तक की कमी आई।
● सभी तरह के प्रदूषण मे भारी गिरावट।
● बाॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार 2019 से अब तक हंस प्रवास मे हुई 25% की वृद्धि।
● प्रकृति और वन्य जीवन ने खुद को पुनर्जीवित और स्वच्छ किया।
● नाइट्रोजन-डाइऑक्साइड के स्तर मे भी लगभग 40% की कमी।
● उद्योगो के बंद होने से पानी की माँग में और नदी निकायों मे विषाक्त अपशिष्टो को प्रवाहित करने मे आई कमी।
● एक ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि भारत मे वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 1.2 मिलियन लोगो की मौत होती है।
● SAFAR के अनुसार दिल्ली एनसीआर में पी एम 2.5 में आई लगभग 30% की गिरावट।
(स्त्रोत: विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ)
कहने का आशय यह है कि मनुष्य का हस्तक्षेप कम होते ही पर्यावरण अपने मूल स्वरूप मे आ गई। हम मनुष्य है और हमारी कुछ सीमाएँ है जिसे लाँघने का मतलब विनाश को निमंत्रण देना है। अत: कोरोना महामारी के समाप्त हो जाने के बाद भी हम सदैव याद रखें-
'पर्यावरण की सुरक्षा, हमारी ज़िम्मेदारी'
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