ममता रानी सिन्हा - रामगढ़ (झारखंड)
आशा का दीप - कविता - ममता रानी सिन्हा
मंगलवार, मई 25, 2021
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ
परिस्थिति विकट है और चहुँओर संकट है,
पर समाधान भी तो हम ही निकलवाएँ,
साथ और संबलता से फिर सफलता लाएँ,
स्वंय सभी आत्मशक्ति को जागृत कर जाएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
हमारे भगवान हमारे अन्दर जब तक भक्ति है,
हम जीवित हैं यहाँ जब तक आत्मशक्ति है,
गएँ उनको श्रद्धांजलि यादों का विष पी जाएँ,
बचें उन्हें भविष्य में आगे बढ़ाकर जी जाएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
घोर तम का अँधेरा है तो क्या छट जाएगा,
सुखद हर्षित सवेरा यहाँ अवश्य आएगा,
हम मानव हैं हम हीं जीते हैं हम हीं जितेंगे,
नित्य यही सबके हृदय में विश्वास जगाएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
लड़ेंगे भी जितेंगे खुश होंगे और जीएँगे भी,
आरोग्यता का अमृत हम फिर से पिएँगे भी,
आती ही हैं समस्याएँ परीक्षा लेने को आएँ,
उतीर्ण हम ही होंगें की सकारात्मकता फैलाएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
साथ न छोड़ें इस कुसमय में एक दूसरे का,
अकेलापन से न तोड़ें हृदय एक दूसरे का,
मैं नहीं 'हम' हैं तभी ये संचालित सृष्टि हैं,
इसका नित्य प्रतिपल प्रतिक्षण भान कराएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
अपनो को सहयोग साथ और समर्पण करें,
और समाज के लिए भी स्वयं को अर्पण करें,
भय और आशंका से समाज को मुक्त कराएँ,
चलो फिर मानवतारथ के हम सारथी बन जाएँ।
आओ मिलकर आशा का दीप जलाएँ।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर