ममता रानी सिन्हा - रामगढ़ (झारखंड)
मेरे भारत में प्रेम - कविता - ममता रानी सिन्हा
गुरुवार, मई 06, 2021
सत्य शाश्वत प्रेम सम्बंध यहाँ कण-कण में दिखता है,
इसीलिए मेरे भारत में प्रेम बाज़ार नहीं बिकता है।
यहाँ शहीद होने पर भी सगर्व पत्नीयाँ नहीं रोती हैं,
तिरंगे की चूनड़ी ओढ़ स्वयं सदा सुहागन कहती हैं।
माँ भी पूर्णगर्व से यहाँ देशभक्ति का दम्भ भरती हैं,
सप्रेम दूजे बेटे को भी भारतमाता के नाम करती हैं।
आलिंगन चुम्मबन यहाँ प्रेम की परिभाषा नहीं हैं,
ऐसे घृणित दिखावे की हमें अभिलाषा नहीं है।
भारत नीच भोंडे प्रेम प्रदर्शन का मोहताज नहीं है,
आचरण हीन नग्नता भी यहाँ का रिवाज़ नहीं है।
राधा के मृत्यु पर यहाँ कृष्ण बाँसुरी तोड़ देते हैं,
बाँसुरी हीं थी राधा या फिर राधा हीं थी बाँसुरी।
प्रिया वेदना का यह शाश्वत प्रश्न भी छोड़ देतें हैं,
प्रेमिका विछोह से उसकी निशानी जोड़ देते हैं।
यहाँ गिरिधर प्रेम व्याकुल मीरा विष प्याला पीती हैं,
निर्वासित हो अपनों बीच हीं वो हरिनाम को जीती हैं।
यहाँ शक्ति विछोह में शिवशंकर ताण्डव गान करते हैं,
जगत रक्षा कल्याण हेतु वही हलाहल पान करते हैं।
श्रीराम यहाँ प्रेम शक्ति से शिव धनुष भी तोड़ देते हैं,
महाक्रोधी परशुराम को भी प्रेम दरिया में बोर देते हैं।
पितृ वचन बचाने को यहाँ प्रभु स्वयं वन को जाते हैं,
प्रभु प्रेम आशक्त माँ शबरी के जुठे बेर भी खाते हैं।
यहाँ प्रेम बन्धन निभाने को श्रीरामसेतु भी बनता है,
रोक ले प्रेम पग को ऐसी समुद्र में भी कहाँ क्षमता है।
हर जन्म लेते हैं यहाँ सात जन्म की क़समें खाने को,
कुछ भी नहीं दिखाने को जन्म जन्मांतर हैं निभाने को।
यहाँ शाश्वत प्रेम सर्वोच्च है और लाज अपना गहना है,
हर जन्म में हो बस वही साथी हर स्त्री का ये कहना है।
ऐसा अलौकिक शाश्वत प्रेम संसार में कहाँ दिखता है,
ऐसा सत्य सनातन धर्म तो बस यहाँ हिंद देश बसता है।
अपनी ज्ञान चक्षु खोलो और ख़ुद को पहचानों तुम,
हे श्रेष्ठ सनातन देशवंश कुलउद्भव अब जागो तुम।
इस विश्व में सर्वश्रेष्ठ अपनी सिंधु घाटी सभ्यता है,
सत्य शाश्वत सम्बंध यहाँ हर सरिता घाट बहता है।
सत्य शाश्वत प्रेम सम्बंध यहाँ कण-कण में दिखता है,
इसीलिए मेरे भारत में प्रेम बाज़ार नहीं बिकता है।
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