ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि" - पूर्णिया (बिहार)
मुस्कान - कविता - ब्रह्माकुमारी मधुमिता "सृष्टि"
शनिवार, मई 22, 2021
चेहरे की सुंदरता बढाती,
आँखों में ख़ुशियों का संचार करती,
तन मन को ऊर्जा से भरपूर करती,
अपनों को क़रीब लाती,
एक प्यारी सी मुस्कान।
देख जिसे भूल जाएँ अपनी आन,
देते जिसे सभी सम्मान,
भूल कर मान-अपमान,
दें एक प्यारी सी मुस्कान।
मुस्कान से जीवन रंग जाएगा,
ख़ुशियों से हर पल मुस्कुराएगा,
सबका प्यारा तुम्हें बनाएगा,
अनजान ना तुमसे कोई रह पाएगा।
दें सदा एक प्यारी सी मुस्कान,
ईश्वर का है यह वरदान,
इसी में है सबका कल्याण,
आओ बढ़ाएँ अपने कुल की शान,
देकर एक सुंदर मुस्कान।
क्या देना, क्या लेना किसी को,
ख़ुश रहे सभी, है मंज़ूर ख़ुदी को।
हुकुमी हुकुम चला रहा है,
वो दाता, सब कुछ लुटा रहा है,
मेरे दामन को ख़ुशियों से भर रहा है,
ख़ुश रहकर क्यों ना रखूँ मैं?
अपने परम पिता का मान,
पाकर उनका अनमोल वरदान,
हर्षित रहूँ सदा, देकर एक प्यारी सी मुस्कान।
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