निशांत सक्सेना "आहान" - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
स्फूर्ती - आलेख - निशांत सक्सेना "आहान"
सोमवार, जून 14, 2021
हर बार जब आप जागते हैं तो आप एक अलग व्यक्ति होते हैं। नए दिनकर के साथ शरीर स्फूर्ति से परिपूर्ण होता हैं। आलस्य भी विभावरी के साथ उड़नछू हो जाता है। सुबह एक ऐसा वक्त है जिसमें शरीर जिस वक़्त शरीर में सर्वाधिक स्फूर्ति संचरण करती है सुबह की चाय के साथ पूरे दिनचर्या की योजना करने का एक अलग ही मज़ा है।
सुबह उठकर प्राकृतिक सुंदरता का आनंद, विहंगो का मधुर संगीत सभी मन व मस्तिष्क को तरो-ताज़ा करते हैं।
अपने सपनों को पूरा करने के लिए तत्परता और लगन से कार्य को करने की शक्ति हर सुबह हमको प्राप्त होती है। बीता कल शर्वरी के साथ छोड़ कर, एक नई सुबह का अभिनंदन कर एक बेहतर भविष्य के लिए क़दम बढ़ाना चाहिए। ढलते दिन के साथ शक्ति स्फूर्ति का भी ढलाव शुरू हो जाता है इसलिए बीते कल के बारे में सोच कर भविष्य को अंधकार में नहीं करना चाहिए। ताज़े मन व मस्तिष्क होने के कारण ही आप हर सुबह अलग व शक्तिशाली व्यक्ति होते हैं। अच्छे सरल व्यक्तित्व के निर्माण की ओर सोचते हुए बस क़दम आगे बढ़ाइए और सपनों को जुनून में बदल आगे बढ़ते जाइए।
निद्रामग्न हो गई है विंभावरी,
आई है नव्य प्रभात वेला,
दविजो ने भी त्याग दिए है थांग,
अकर्मण्यता को त्याग उठ जाओ,
मंज़िलो के अभ्र में उड़ जाओ।
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