सरिता श्रीवास्तव "श्री" - धौलपुर (राजस्थान)
हिना - ग़ज़ल - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
शुक्रवार, जून 18, 2021
अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
तक़ती: 212 212 212 212
मेंहदी हाथ में झिलमिलाए सदा,
संग ख़ुशियाँ सुता की सुनाए सदा।
पत्तियाँ बाग़ से तोड़ के लाड़ली,
हस्त प्रिय प्रेम दुल्हन रचाए सदा।
बिंदिया और चूड़ी सखी बन गईं,
चेहरे हाथ पर खनक जाए सदा।
मेंहदी आलता प्रेम अनुबंध है,
संग परिणय सुगंधित बहाए सदा।
एक से एक मिल अंक ग्यारह हुए,
रूह में रूह दिल से समाए सदा।
मेंहदी पिस गई रंग शोणित दिया,
रक्तिमा प्रीत श्रंगार सजाए सदा।
शाख से टूट कर फिर न जाने कहाँ,
तात से दूर पिय घर बसाए सदा।
रंग गहरा छुपा जीव परमात्म का,
"श्री" अलंकृत गृहलक्ष्मी सुहाए सदा।
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