सुखवीर चौधरी - मथुरा (उत्तर प्रदेश)
उसे अपनों का काला सच दिखाई क्यों नहीं देता - ग़ज़ल - सुखवीर चौधरी
शुक्रवार, जुलाई 30, 2021
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222 1222 1222
उसे अपनों का काला सच दिखाई क्यों नहीं देता,
वो बहरा तो नहीं है फिर सुनाई क्यों नहीं देता।
मुझे दुनिया की रस्में क़ैद खाने जैसी लगती हैं,
ख़ुदा इस क़ैद से मुझ को रिहाई क्यों नहीं देता।
कभी मैं भी लिखूँ कुछ शेर जो मशहूर हो जाएँ,
ख़ुदा मुझ को भी ऐसी तू बीनाई क्यों नहीं देता।
जिसे माँ बाप ने सब कुछ दिया लाकर कहीं से भी,
बुढ़ापे में वही बेटा दवाई क्यों नहीं देता।
कभी कोई पिता बेटी को ख़ुद पर बोझ ना समझे,
ग़रीबों को ख़ुदा इतनी कमाई क्यों नहीं देता।
भुलाकर दुश्मनी करने वो सबसे प्यार लग जाए,
उसे आकाश के जितनी ऊँचाई क्यों नहीं देता।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर