प्रशान्त "अरहत" - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)
यहाँ पर कौन आया है - ग़ज़ल - प्रशान्त "अरहत"
मंगलवार, जुलाई 20, 2021
अरकान: मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222 1222 1222
खुली खिड़की हिला पर्दा यहाँ पर कौन आया है।
मुझे लगता बहारों ने वही फिर गीत गाया है।।
मुझे तो हार कर भी जीत हासिल हो गई तुम से,
मुझे माँ ने ख़ुशी देकर ख़ुशी पाना सिखाया है।
इशारा कर दिया उसको दिखाई दे गया मुझको,
हमारी घात में तुमने वहीं उसको बिठाया है।
तबीयत बाप की पूछी नहीं पहले मगर अब तो,
वसीयत पर उसी ने नाम फिर अपना लिखाया है।
मेरी माँ जानती थी, ज़िन्दगी की हर हक़ीक़त का,
किताबों में छुपा है राज़ ये हमको बताया है।
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