शाहरुख खान - ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)
अब तन्हाइयों में बैठना छोड़ दिया है - कविता - शाहरुख खान
मंगलवार, जुलाई 13, 2021
हज़ारों से बचाकर
अपने आशियाने को,
अपने हाथों से ख़ुद ही
तोड़ दिया है!
मेरे क़दम जो जाते थे
तेरी गलियों में,
उन्हें मयख़ाने की तरफ़
मोड़ दिया है!
जो छेड़ते थे
तुझे मनचले,
उनके कानों को
जोर से मरोड़ दिया है!
ख़ुशियाँ जो
रूठी थी तुझसे,
भरकर चाबी
तेरी तरफ़ छोड़ दिया है!
जो टुकड़े कर
बिखेरे थे मेरे दिल के,
उन्हें समेटकर अपने हाथों से
तसल्ली से जोड़ दिया है!
तेरे दिल में कोई और है,
यह सुना जब से मेरे दिल ने,
इसने धड़कना छोड़ दिया है!
तेरी यादों में इतना खो गया हूँ,
तेरा ख़्याल आया और,
नल खुला छोड़ दिया है!
तू ख़फ़ा है जब से,
कुदरत की करामत है,
मेरे आशियाने में चाँद ने
चमकना छोड़ दिया है !
और जो देखकर मुझे,
फड़फड़ाते थे अपने पिंजरे में,
लगता है उन्होंने
फड़फड़ाना छोड़ दिया है!
तूने ठुकराया है जब से,
मेरी आँखों ने दरिया भर,
अशको को निचोड़ दिया है
अब तन्हाइयों में बैठना छोड़ दिया है!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर