रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
अहंकार - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
गुरुवार, जुलाई 29, 2021
अहंकार ने
कई राजा महाराजा
कर दिया बंटाधार।
अहम ने ही
नेता अभिनेता को और
अनगिनत नर नारी को
कर दिया तार तार।
अहम ने ही
रावण जैसे
दिग्गजों कुटुम्ब
क़बीले हो
गए निराधार।
अहम के कारण ही
पति पत्नी में
और चाहने वालो में
होती है तकरार।
अहम के
वास्ते ही
न जाने
कितनी गिरती हैं सरकार।
अहम के वास्ते ही
आपस में होता
है दुर्व्यवहार।
और अहम के
कारण ही
भाई भाई आँगन में
खिच जाती है रेखा।
और अहम के कारण ही
नव युवको
नव युवतियों
बड़े बुजुर्गो
को कर देती है अनदेखा।
प्रिय साथियो
मत करना
अहम ये है
नश्वर राग।
जिसको अहम
नहीं है मानो
उसके अच्छे है भाग।
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