डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)
मेरा किसान - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
गुरुवार, जुलाई 08, 2021
श्रम बिंदु बहता जाए,
काम वह तो करता जाए।
सर्दी, गर्मी या हो बरसात,
मेहनत करता है दिन-रात।
खेतों में वह अन्न उगाता,
अन्न तभी हमें मिल पाता।
कुछ कहते कृषक हमारा,
कुछ कहते खेतिहर प्यारा।
हरा भरा वह चमन करें,
उनको हरदम नमन करें।
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