डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
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भज रे मन श्रीकृष्ण को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
भज रे मन श्रीकृष्ण को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमवार, अगस्त 30, 2021
नारायण कारा जनम, लिया कंस संहार।
असुर कर्म आतंक से, मुक्त किया संसार।।
नारायण अनुराग मन, पूत देवकी गेह।
भाद्र मास तिथि अष्टमी, वासुदेव नर देह।।
कृष्ण अमावश कालिमा, जात कृष्ण अभिराम।
कालिन्दी दे सुगम पथ, नंदलाल सुखधाम।।
लीलाधर षोडश कला, वासुदेव रच रास।
मिल राधा अठखेलियाँ, कर नटवर उल्लास।।
पीताम्बर घन श्याम तनु, मोरमुकुट नित भाल।
सुन्दरतम आनंदकर, यशुमति के गोपाल।।
वंशीधर मधुमाधवी, मधुवन बहे बयार।
नंदलाल गिरिधर मधुर, ग्वालसखा गलहार।।
शेषनाग शिर छत्र धर, मोर मुकुट अभिराम।
पद्मनाभ श्रीकृष्ण जग, चक्रपाणि सुखधाम।।
योगेश्वर शारङ्गधर, पीताम्बर घन श्याम।
वसुदेव देवकी तनय, नंदलाल हरि नाम।।
कमलनैन केशव मुदित, मुख लेपित नवनीत।
मगन यशोदा देख सुत, मुरलीधर संगीत।।
लीलाधर नित बालपन, ग्वाल बाल आनंद।
नेहामृत दे उलाहना, ग्वालिन मन मकरंद।।
बकासुर जग त्रासदी, मार किया जग त्राण।
पान पयोधर पूतना, वधकर जन कल्याण।।
हरे कृष्ण माधव भजो, जगन्नाथ गोपेश।
वृन्दावन राधारमण, दामोदर अखिलेश।।
पार्थ सखा गिरिधर परम, महावीर नीतीश।
रंगनाथ मथुरेश भज, मनमोहन जगदीश।।
रास बिहारी रुक्मिणी, राधा नैन चकोर।
गोपीवल्लभ कृष्ण नित, मीरा के चितचोर।।
गोकुलेश गोपाल नित, प्रीत मीत बन लोक।
रूप मनोहर चारुतम, नंदलाल हर शोक।।
यादवेन्द्र अनुराग नित, शरणागत हरि नाम।
जय मुकुन्द गोविन्द भज, यशुमति सुत अभिराम।।
वार्ष्णेय जगदीश जग, मधुसूदन अभिराम।
शान्तिदूत नित लोकहित, जनसीदन सुखधाम।।
पारिजात द्वारकेश हर, सत्यभाम आनंद।
जामवन्त जामातृ बन, प्रियतम मन मकरन्द।।
मीत सुदामा श्रेष्ठतर, सखा द्रौपदी मान।
नायक हरि कुरुक्षेत्र का, विराट रूप महान।।
मुरलीधर अच्युत मधुर, नटखट माखनचोर।
वल्लभ दाऊ साथ में, जगन्नाथ रणछोर।।
भज निकुंज नित हरिचरण, यदुनंदन गोलोक।
दामोदर परित्राण नित, हरो रोग जग शोक।।
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