डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
है अटूट राखी का बन्धन - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रविवार, अगस्त 22, 2021
आर्यावर्ती प्रीत धरोहर,
रक्षाबन्धन पुण्य पर्व है।
समरसता बन्धुत्व मिलन शुभ,
मातु पिता अरु भाई बहिन है।
चारु मनोहर राखी धागे,
वैदिक पावन परम्परा है।
शास्त्रविज्ञ शिष्य मानक बन्धन,
प्रकृति प्रेम तरु सूत्र धरा है।
है अटूट सनातन रक्षा बन्धन,
भाई-बहिन का प्यार भरा है।
भाई सुन्दरतम मिलन मनोहर,
टीका चन्दन जल थाल सजा है।
स्वागत को तत्पर एकटकी बन,
सुबह काल से करी प्रतीक्षा है।
भाई स्वागत आँचल फैलाकर,
साश्रुनयन समुदित हर्षित है।
समधुर पावन रक्षाबन्धन यह,
भाई में हिय विश्वास अटल है,
नवशक्ति युता नित होती संबल,
करुणा बहना ममता चितवन है।
मातृहृदय भगिनी का हिय प्रतिपल,
भाई दिल में प्रेम पीयूष है।
कर पान निरन्तर निर्भय अविचल,
आदिकाल से लेकर अबतक है।
वह सदा बहन सम्मान बचाकर,
बचा बहन का चीर हरण है।
बन हिन्दू रानी ले बहन सूत्र,
शाहजहाँ स्व कलाई बाँधा है।
भाई-बहन के समधुर रिश्ते को,
आदर्श मनोरम सबल बना है।
बरस चार सौ से लेकर अबतक,
चलता रक्षाबन्धन उत्सव है।
निश्छल अविरल विश्वास परस्पर,
सहोदर भाई-बहन स्नेहिल है।
आ भैया, रक्षाबंधन अवसर,
चन्दन आरत नव थाल सजा है।
अवगाहनार्थ प्रेमाश्रु सरित् में,
नित सजा आश तेरी बहना है।
आओ भैया, वादा पूरा कर,
रेशम डोरी सुन्दर राखी है।
रक्षा डोर प्रमुदित भाई हृदय,
हो पूर्ण स्वप्न सजी कलाई है।
बना कवच संकोच बहन रक्षण,
भाई बहन ख़ुशियाँ छाई है।
भावों का अनुपम बन्धन यह,
संगम तट आशीष नेह है।
भाई बहिन प्रीत आशीष श्रेष्ठ,
ममता रक्षण मधुर गेह है।
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