उमाशंकर राव 'उरेंदु' - देवघर बैद्यनाथधाम (झारखंड)
बड़ा सवाल - कविता - उमाशंकर राव 'उरेंदु'
गुरुवार, अगस्त 19, 2021
मैं तुमसे कहना चाहता हूँ
कि जहाँ तुम बचना चाहते हो
वहीं नहीं बचोगे
यह जाल है जीवन
और इससे बचना जीवन नहीं है।
जीवन कहाँ-कहाँ है
और कहाँ-कहाँ नहीं
यह बताना कठिन है
सच तो यह है
कि लोग भौतिकता में ख़ुश हैं
जीवन देखकर मदांध हैं
जहाँ न प्रेम है, न संबंध की मिठास
ढूँढे तो वहाँ आपको जीवन का एक खाली लिफ़ाफ़ा सा मिलेगा जीवन।
आप क्यों बचना चाहते हैं?
किससे बचना है?
क्या बचाना है?
जिसे आप मनुष्य समझ रहे हैं
वह हैं नहीं
जिसे आप उपदेश समझते हैं
वह हैं नहीं
तब आपके बचने का मतलब
अपने अंदर के आदमीपन को बचाकर रखना है शायद
सवाल उठता है
कि आदमी ही नहीं मिलता
तो आदमीयत कैसे मिलेगी
कैसे बचेगी वह?
हम उपदेशक इसलिए हैं
कि बाबा का यह काम है
और वह ख़ुश रहेंगे
हम जातिवाद का विरोध इसलिए
कर रहे हैं
कि हम ख़ुद सबसे बड़े जातिवादी हैं,
अपनी जाति की श्रेष्ठता पर नाज़ हैं उन्हें
राजनीति से अलग होने का ढोंग
बड़े राजनीतिज्ञ होने का प्रमाण है
आज कैसे ढूँढेंगे आदमी आप?
यह एक बड़ा सवाल है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर