प्रतिभा नायक - मुम्बई (महाराष्ट्र)
जीवन का अर्थ - कविता - प्रतिभा नायक
शुक्रवार, अगस्त 20, 2021
क्या खोया क्या पाया
ये सोचना ही व्यर्थ है,
क्या नया कर सकते हो
इसी में जीवन का अर्थ है।
लगाव पीड़ा प्रेम भक्ति है,
उदासी व्यर्थ है,
स्वयं पर विश्वास ही
नए पथ का प्रारम्भ है।
घमंड क्रूरता झुकाव दोष है,
सत्य का साथ ही
असत्य का अंत है।
क्रोध एक रोग है,
प्रतिशोध दुर्बलता है,
स्वयं का अवलोकन ही
मन की शांती है।
हार मानना पाप है,
जीत जाना भी लक्ष्य नहीं,
सन्मार्ग पर चलते रहना ही
मनुष्य का कर्म है।
न सुख स्थायी है
न दुःख चिरन्तन हैं,
स्वयं पर विजय ही
कष्टो से मुक्ति है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर