पावन ये भूमि है हमारी - कविता - मोनी रानी

पावन ये भूमि है हमारी,
इस भूमि पर न जाने कितने लोग जन्में,
जिनकी यादें हमारे दिल में ताज़ा है अभी।
पावन ये भूमि है हमारी।।

नेताजी, राष्ट्रपिता और झाँसी की रानी,
न जाने और कितने लोगों ने हमें मुक्ति दिलाई,
जिनकी वजह से स्वंतत्र हैं आज हम
क्यूँकि अपने यहाँ मौत से भी प्यारी है अपनी आज़ादी।
पावन ये भूमि है हमारी।।

हमें नाज़ है, अपनी इस पावन भारत की भु पर,
जिनकी छवि रहती है हमेशा दिलों पर,
छोड़ेंगे न उसे जिसने भी इस पर आँख दिखाई,
क्यूँकि ये भु हमें अपने प्राणों से भी है प्यारी,
पावन ये भूमि है हमारी।
पावन ये भूमि है हमारी।।

मोनी रानी - नेतौल, पटना (बिहार)

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