रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता - कविता - रमाकांत सोनी
रविवार, सितंबर 05, 2021
क़िस्मत का ताला खुल जाता,
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता।
ज्ञान ज्योति जगा घट घट में,
अंतर्मन उजियारा लाता।
शिल्पकार मानव निर्माता,
शत् शत् वंदन हे गुण दाता।
बुरे मार्ग से हमें बचाओ,
प्रगति का मार्ग दिखलाओ।
गढ़कर नित नए सोपान,
शिखर तक गुरु पहुँचाता।
राष्ट्र गौरव पाठ पढ़ाकर,
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता।
सदा स्नेह की वर्षा करते,
आशीषों से झोली भरते।
देश प्रेम की बहाकर धारा,
राष्ट्र नव निर्माण करते।
कला कौशल ज्ञानदाता,
अंधकार पथ से मिट जाता।
वंदन करता पूज्य हमारे,
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता।
संस्कार पावन भर देते,
पग पग मार्गदर्शन देते।
कला कौशल ज्ञानदाता,
अंधियारा सारा हर लेते।
कृपा बरसा जीवन हमारा,
ख़ुशियों से गुरु महकाता।
करे वंदन अभिनंदन हम,
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता।
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