अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)
प्यासी है प्यास - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
शुक्रवार, अक्टूबर 01, 2021
है अथाह
जलराशि
प्यासी है प्यास।
ज्वार भाटा
सौंदर्य है
सागर का।
दुःख सुनता
कौन छूछी
गागर का।।
नखत हैं
फिर भी
सूना सा आकाश।
चक्षु में
आँसू-
सीपी में मोती।
दूर कहीं
आज-
पुरवाई रोती।।
सपनों पर
दुर्दिन-
फेंकता है पाश।
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