कवि संतोष कुमार - पश्चिमी चंपारण (बिहार)
प्रेम करने वाले प्रेमी - गीत - संतोष कुमार
सोमवार, अक्टूबर 18, 2021
प्रेम करने वाले प्रेमी, पागल होते हैं,
वो तो प्रेम रोग से ही, घायल होते हैं।
उन्हें क्या ख़बर, कुछ न आए नज़र,
वो जाएँ जिधर, कोई न करे क़दर,
हो अलग प्यार के राही, क़ायल होते हैं।
प्रेम करने वाले प्रेमी, पागल होते हैं,
वो तो प्रेम रोग से ही, घायल होते हैं।
उनके लिए प्रेम है पूजा, प्रेम से बड़ा रब ना दूजा,
दुनिया को वे न जाने, इश्क़ को ही ख़ुदा माने,
उनको कोई शिकवा नही, रॉयल होते है।
प्रेम करने वाले प्रेमी, पागल होते हैं,
वो तो प्रेम रोग से ही, घायल होते हैं।
वो न समझे रस्मे-रिवाज़, डर किसी का न लोक-लाज,
मर-मिटने के ख़ातिर, परवाह न करते शातिर,
प्रीत के डोर से बंधे स्नेही, पायल होते हैं।
प्रेम करने वाले प्रेमी, पागल होते हैं,
वो तो प्रेम रोग से ही, घायल होते हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर