रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
सजा माँ दरबार निराला - गीत - रमाकांत सोनी
सोमवार, अक्टूबर 11, 2021
सब के दुख हरने वाली, सजा माँ दरबार निराला।
रणचंडी खप्पर वाली, दुर्गा महाकाली ज्वाला।
सिंह सवार मात भवानी, तेरी लीला अपरंपार।
तू है सृष्टि नियंता, तू ही माँ जग की करतार।
त्रिशूल चक्र कर सोहे, गदा शंख अरू भाला।
भक्तों की मात भवानी, सजा दरबार निराला।
चंड मुंड मार गिराया, रक्तबीज को भस्म किया।
दुष्टदलनी शक्ति स्वरूपा, भक्तों को अभय किया।
ब्रह्मचारिणी शैलपुत्री, महागौरी कुष्मांडा माता।
कालरात्रि कात्यायनी, सिद्धिदात्री स्कंद माता।
चंद्रघंटा मस्तक सोहे, रूप अनूप मन को मोहे।
केहरी वाहन दस भुजधारी, अभय मुद्रा माँ सोहे।
आराधक चरणों में तेरे, मधुर कंठ ले मोती माला।
सबकी झोली भरने वाली, सजा दरबार निराला।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर