सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
कौमी एकता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बुधवार, नवंबर 24, 2021
आपस मे अब युद्ध न करना,
ऐ! भारत माता के लालों।
बैरी देश हँसेंगे तुम पर,
वो सोचेंगे लाभ उठा लो।
आपस के मतभेद मिटा दो,
मुठ्ठी सा बंध जाओ तुम।
भाईचारा सदा निभाना,
भारत माँ के रखवालों।
भारतवर्ष के रहने वालों,
आपस में तुम प्यार करो।
हम सब बच्चे भारत माँ के,
इस सच को स्वीकार करो।
माँ का दिल रो उठता है,
जब उसके बच्चे लड़ते हैं।
जनम भूमि का दिल न दुखाना,
दिल से ये इक़रार करो।
हम सब अगर झगड़ें कभी,
पर वक्त पर तो एक हैं।
है अजब सी एकता,
हम सब दिलों के नेक हैं।
लोहड़ी क्रिसमस ईद दिवाली,
मिलकर सभी मना लेते।
हम सब मन से एक हैं यारों,
भाषा भले अनेक हैं।
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई,
भारत माँ के सब बच्चे।
भारत माँ ये कभी न चाहे,
रहें अकल के हम कच्चे।
अपनेपन की भाषा बोलो,
प्रेमभाव बर्ताव करो।
एक कुटुंब देश है सारा,
बनो नेक इंसा सच्चे।
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